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Kya Hua Tera Vada वोह जो दावा करते थे के जी ना सकेंगे तुम्हारे बिन आज बस गएँ हैं जा कर हमसे कोसों दूर वोह जो कहते थे के बिना तेरे ज़िन्दगी मोहाल है उनका पैगाम आए गुज़र गए हैं  हजारों दिन राजीव वोह लोग कुछ और ही थे जो मर जाते थे अपने वादे पे हर हाल में जो कायम रहते थे अपने इरादे पे  फितरत बदल गई दुनिया बदल गई ज़माने बदल गए क्यूँ ढूँढता है तू वफ़ा बेवकूफ दुनिया बिक जाती है आज अपनी मुरादों पे

usay dil ka haal sunao kesay

usay dil ka haal sunao kesay mom ka ghar ha chiraag jalaon kesay door hota to usay dhoond bhi letay faraz jo rooh mein chupa behta he usay paon kesay

के मैं जिंदा हूँ अभी....

मुझे थोडा यकीं सा दिला दो, के मैं जिंदा हूँ अभी दिल में थोड़े अरमान से जगा दो, के मैं जिंदा हूँ अभी बिन तेरे तन्हाई में रोज़ रोज़ तिल तिल मरना मुझे कोई आबे हयात पिला दो, के मैं जिंदा हूँ अभी होशो हवाश गुम हैं मुद्दत से , मगर बीमार नहीं हूँ मैं तेरे सजदे में सर मेरा झुका दो , के मैं जिंदा हूँ अभी यह माना   के तेरे काबिल नहीं हूँ मैं, तेरे सपनो के लायिक नहीं हूँ मैं मगर मुझे नाचीज़  समझ कर न गवा दो , के मैं जिंदा हूँ अभी तडपते रहे हैं तेरे  हिजर  में ताउम्र  हम चुपके चुपके जिगर में  नश्तर और न चुभा दो  ,  के मैं जिंदा हूँ अभी तेरी जुदाई में दिल की धडकने रुक रुक कर चलती  हैं मुझे मुर्दा समझ कर कहीं न जला दो, के मैं जिंदा हूँ अभी मुझे थोडा यकीं सा दिला दो, के मैं जिंदा हूँ अभी दिल में थोड़े अरमान से जगा दो, के मैं जिंदा हूँ अभी By Rajeev Kapoor "Akela"

आपके आ जाने से....

दिल का कोना कोना खिल उठा आपके आ जाने  से महफ़िल में रौनक  सी आ गई आपके आ जाने  से कहने को तो जी लेते थे हम आपके बिना भी जानेजाना जैसे मुर्दे में जान सी आ गई आपके आ जाने से चारों  तरफ खिजां का रंग चड़ा था, तम्मना-ऐ-गुलिस्तान  में बाद मुद्दत ,  बहार सी छा   गई, आपके आ जाने से दिन गिना करते थे अपने मरने के  हर रोज़. हम फिर से  जीने की चाह सी आ गई, आपके आ जाने से मारे मारे  फिरते थे  खाना बदोशो की  तरह गली गली हम जैसे किसी मुसाफिर को पनाह सी आ गई, आपके आ जाने से पैमाने-दर-पैमाना  पीने के बाद भी होश रहता था हमें बिन पिए आज खुमारी सी छा   गई, आपके आ जाने से सोचा करते थे के यह कहेंगे वोह कहेंगे आपसे मिलने के बाद मगर जुबान पे  ख़ामोशी सी छा गई,  आपके आ जाने से   दिल का कोना कोना खिल उठा आपके आ जाने  से महफ़िल में रौनक  सी आ गई आपके आ जाने  से By Rajeev Kapoor "Akela"

Ranzish Hi Sahi---------

Ranzish Hi Sahi--------- Ranjish hi sahi dil hi dukhane ke liye aaaa phir se mujhe choor ke jane ke liye aa Pahale se marasim na sahi phir bhi kabhi torasm-o-rahe duniya hi nibhane ke liye aa Kis kis ko batayenge judai ka sabab hamtu mujh se Khafa hai to zamane ke liye aa Kuchh to mere pindar-e-muhabbat ka bharam rakhtu bhi to kabhi mujh ko manane ke liye aa Ek umr se hoon lazzat-e-giriya se bhi maharumai rahat-e-jan mujh ko rulane ke liye aa Ab tak dil-e-Khush faham ko tujh se hain ummidainye aKhiri shamain bhi bujhane ke liye aa Mana ki muhabbat ka chupana bhi hai muhabbatchupake se kisi roz yeh jatane ke liye aa Jaise tujhe ate hain na anye ke bahaneaise hi kisi roz na jane ke liye aa.

Ab Ke Ham Bichhare To--------

Ab Ke Ham Bichhare To-------- Ab ke ham bichhare to shaayad kabhii Khvaabon main milain jis tarah suukhe hue phuul kitaabon main milain Dhondh ujare hue logon main vafaa ke motii ye Khazaane tujhe mumkin hai Kharaabon main milain Tuu Khudaa hai na meraa ishq farishton jaisaa  donon insaan hain to kyon itane hijaabon main milain Gam-e-duniyaa bhii Gam-e-yaar main shaamil kar lo nashaa barataa hai sharabain jo sharaabon main milain Aaj ham daar pe khainche gaye jin baaton par kyaa ajab kal wo zamaane ko nisaabon main milain Ab na wo main hon na tu hai na wo maazii hai `Faraaz'  jaise do shaKhs tamannaa ke saraabon main milain .

एक नज़म रिश्तों के नाम

एक   नज़म  रिश्तों  के  नाम by Rajeev Kapoor on Monday, March 7, 2011 at 9:24pm    आज  बैठा तन्हाई  में  तो  सोचता  हूँ , क्या  खोया  क्या  पाया  मैंने रिश्तों  की  दुकानदारी  के हिसाब  में , क्या  खोया  क्या  पाया  मैंने   पुराने  रिश्ते  टूटे , पुराने  यार  छूटे  , नए  रिश्ते  जुड़े , नए  यार  मिले ज़िन्दगी  के  इस  सफ़र  में  किसको  खोया , किसको  पाया  मैंने  सोचता  हूँ  तो  दिल  डूब  सा  जाता  है , एक  खौफ  सा  नज़र  आता    है दिल  की   गहराईयों   में  दफ़न  हो  के , सोचता  हूँ , क्या  खोया  क्या  पाया  मैंने  एक  रंजिश  सी  गम  बन  कर  उभरती  है , जो  पुराने  रिश्तों  की  याद  दिलाती  है रिश्ते  दिल  से  जुड़े  होते  हैं , कागज़  की  चंद   लकीरों  से  नहीं , आज  यह  पाया  मैंने .  बस  में  मेरे  हो  अगर  "राजीव", सब  रिश्तों  को   निभाऊ    मैं  दुनियादारी  को  छोड़  कर  सबको  सुख   पहुँचाओ    मैं  , आज  यह  तह  पाया  मैंने  .